फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो, जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो, जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ, आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो।

फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो, जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो, जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ, आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो।

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जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो, जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो, कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं, जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो।

खामोशी से बिखरना आ गया है, हमें अब खुद उजड़ना आ गया है, किसी को बेवफा कहते नहीं हम, हमें भी अब बदलना आ गया है, किसी की याद में रोते नहीं हम, हमें चुपचाप जलना आ गया है, गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो, हमें कांटों पे चलना आ गया है।